खंडित मूर्तियों का पूजा क्यू नही करना चाहिए, मूर्ति खंडित हो जाए तो क्या करना चाहिए?

4U HINDI ME
11 Min Read
खंडित मूर्ति

हिंदू धर्म में घर के मंदिर में भगवान की मूर्ति रखने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस संबंध में यह माना जाता है कि घर के मंदिरों में भगवान के दर्शन और पूजा करने से लोगों में सकारात्मकता बढ़ती है। घर में सुखद एवं सात्विक वातावरण रहता है। लेकिन कुछ लोग अपने घरों के मंदिरों में भगवान की टूटी हुई खंडित मूर्तियां भी रखते हैं और रोजाना उनकी पूजा करते हैं।

मूर्तियों से जुड़ी ध्यान रखने वाली बात यह है कि घर में कभी भी खंडित मूर्तियां नहीं रखनी चाहिए। हमें घर के मंदिर में खंडित मूर्तियां रखने से बचना चाहिए। तो आइए आज के इस आर्टिकल में समझते हैं कि हमें खंडित मूर्तियों का पूजा क्यू नही करना चाहिए और अगर कोई मूर्ति टूट जाती है तो हमें उस मूर्ति का क्या करना चाहिए?

खंडित मूर्तियों का पूजा क्यू नही करना चाहिए
                                                                                       खंडित मूर्तियों का पूजा क्यू नही करना चाहिए

खंडित होना क्या होता है?

What Does it Mean To Be Broken – सबसे पहले हम यह समझ लें कि खंडित होने का मतलब क्या है। आपको बता दें कि खंडित का हिंदी अर्थ होता है जिसका कोई पूर्ण आकार न हो, जैसे खंडित मूर्ति। उदाहरण के लिए यदि आप किसी भगवान की मूर्ति का पूजा करते हैं और गलती से या किसी अन्य कारण से वह टूट जाती है तो इसे खंडित होना कहा जाता है। हमें भूलकर भी ऐसी मूर्ति की पूजा नहीं करनी चाहिए।

खंडित मूर्ति की पूजा क्यों नहीं करते?

Why Don’t You Worship a Broken Idol – खंडित मूर्तियों को लेकर धार्मिक मान्यता है कि अगर ऐसी मूर्तियों की पूजा की जाए तो हमें पूर्ण फल नहीं मिलता है। लोगों को मानसिक शांति नहीं मिलती. किसी टूटी हुई मूर्ति की पूजा करते समय जैसे ही हमारी नजर मूर्ति के टूटे हुए हिस्से पर जाती है तो हमारा मन भटक जाता है और हमारा मन पूजा में ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता है एकाग्रता की कमी के कारण विचार शुद्ध नहीं होते और हमारा मन अशांत रहता है।

इसे भी पढ़े – क्या आप जानते हैं कि गणेश उत्सव की शुरुआत किसने और कब की थी?

वास्तु के अनुसार अगर घर में टूटी-फूटी चीजें रखी जाएं तो इससे वास्तुदोष बढ़ता है। ऐसे दोषों के कारण घर में नकारात्मकता बढ़ती है। पूजा करते समय भगवान की मूर्ति का ध्यान करने से तनाव दूर होता है, लेकिन अगर मूर्ति खंडित हो तो ध्यान नहीं लग पाता। इसलिए अगर घर में कोई मूर्ति खंडित हो तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए।

मूर्ति खंडित हो जाए तो क्या करना चाहिए?

What To Do If a Statue Breaks- भगवान् की टूटी हुई मूर्तियों का हमें क्या करना चाहिए तो जैसा का अक्सर हमें देखने को मिलता है कि लोग टूटी हुई खंडित मूर्तियों को किसी चौराहे पर या फिर किसी पेड़ के नीचे ले जाकर रख देते हैं। शास्त्रों में ऐसा करना गलत माना गया है, ऐसे छोड़ने की बजाय खंडित मूर्तियों को आपको विसर्जित कर देना चाहिए।

मूर्ति खंडित हो जाए तो क्या करना चाहिए
                                                                                       मूर्ति खंडित हो जाए तो क्या करना चाहिए

भगवान की टूटी हुई मूर्तियों का हमें क्या करना चाहिए? जैसा कि हम अक्सर देखते हैं कि लोग टूटी हुई मूर्तियों को चौराहे पर या किसी पेड़ के नीचे रख देते हैं। शास्त्रों में ऐसा करना गलत माना गया है, टूटी हुई मूर्तियों को ऐसे ही छोड़ने की बजाय आपको खंडित मूर्ति को विसर्जित कर देना चाहिए।

खंडित मूर्ति का विसर्जन कैसे करें?

How To Immerse a Broken Idol- यदि आपने किसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की है और वह मूर्ति खंडित हो गई है तो उसे जल में विसर्जित नहीं करना चाहिए। इस तरह की खंडित मूर्ति को आप जल में विसर्जित करने के बजाय आपको इसे अपने नजदीकी किसी मंदिर या पूजा स्थल पर सौंप देना चाहिए। आप मंदिर के पुजारी या फिर आपके पहचान के किसी ज्योतिषी से भी आप राय सलाह ले सकते हैं।

खंडित मूर्ति का विसर्जन कैसे करें?
                                                                                                  खंडित मूर्ति का विसर्जन कैसे करें?

यदि आपने मूर्ति स्थापित करते समय प्राण प्रतिष्ठा नहीं की है तो आप इसे पास के किसी झील, नदी या जलाशय में विसर्जित कर सकते हैं। सुनिश्चित करें कि आपकी मूर्ति मिट्टी से बनी हो और उस पर इको-फ्रेंडली पेंट हो ताकि नदी के पानी से कोई नुकसान न हो।
यदि मूर्ति धातु की बनी हो या उसमें रसायन मिला हुआ हो तो उसे पीपल के पेड़ के नीचे रखा जा सकता है। यह किसी क्षतिग्रस्त मूर्ति के विसर्जन के सबसे आम तरीकों में से एक है।

क्या घर में टूटी हुई मूर्ति रखना अच्छा है?

Is It Good To Keep a Broken Idol at Home – टूटी हुई मूर्तियां अशुभ होती हैं इसलिए इन्हें घर में रखने से बचें। वास्तु मानकों के अनुसार, भगवान की टूटी हुई या दरार वाली मूर्तियों को रखना और उनकी पूजा करना अशुभ माना जाता है। इसका सेवन करने से आपके पूजा घर में वास्तुदोष उत्पन्न हो सकता है।

टूटी हुई खंडित मूर्ति की पूजा किसकी होती है?

Who Worships The Broken Idol – हिंदू धर्म में शिवलिंग, शिव भगवान ही एकमात्र ऐसे ईश्वर है जो निराकार रूप है जो खंडित होने के बाद भी पूजनीय माने जाते है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी कारणवश शिवलिंग टूट जाता है तो वह भी उतना ही पवित्र और शुभ होता है, जितना की वे खंडित ना होने पर माने जाते है. न कि वे अशुभता का प्रतीक है।

मूर्तियों के संबंध में शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग को निराकार माना गया है। शिवलिंग खंडित होने पर भी पूजनीय होता है और ऐसे शिवलिंग की पूजा की जा सकती है। शिवलिंग के अलावा अन्य सभी देवी-देवताओं की मूर्तियां खंडित यानी टूटी हुई अवस्था में होने पर पूजनीय नहीं मानी जाती हैं।

खंडित मूर्ति
                                                                                                                      खंडित मूर्ति

खंडित मूर्ति की पूजा राजस्थान –

राजस्थान की शीतला माता एकमात्र ऐसी देवी हैं जिनकी खंडित मूर्ति की पूजा की जाती है। शीतला माता राजस्थान की एक प्रमुख लोक देवी हैं। राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी उनकी पूजा की जाती है। इनका मुख्य मंदिर जयपुर जिले की चाकसू तहसील में स्थित शिल की डूंगरी गांव में स्थित है। यहां चैत्र कृष्ण सप्तमी अष्टमी को शीतला माता का मेला भरता है। पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का निर्माण जयपुर के शासक माधो सिंह ने करवाया था। मेले में दूर-दूर से ग्रामीण रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर, सुसज्जित बैलगाड़ियों के साथ आते हैं, इसलिए इसे ‘बैलगाड़ी मेला’ के नाम से जाना जाता है। माता के पुजारी कुम्हार जाति के ही होते हैं। इस अवसर पर पशु मेले का भी आयोजन किया जाता है।

इसे भी पढ़े – गणेशजी के 10 सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर जहाँ होती है सबकी मनोकामना पूर्ण

शीतला माता को देवी मां के रूप में पूजा जाता है। वह एकमात्र देवी हैं जिनकी खंडित मूर्ति की पूजा की जाती है। शीतला सप्तमी या शीतला अष्टमी का त्योहार चैत्र कृष्ण सप्तमी अष्टमी को मनाया जाता है। इस दिन देवी मां को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है और उसी भोजन का स्वयं सेवन किया जाता है। स्कंद पुराण में शीतला देवी का वाहन गर्दभ बताया गया है। उनके हाथों में कलश, सूप, मार्जन (झाड़ू) और नीम के पत्ते हैं। उन्हें चेचक आदि कई बीमारियों की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। उत्तर भारत में उन्हें ‘महामाई’, पश्चिम भारत में ‘माई अनामा’ और राजस्थान में सीढ़, शीतला और सैधल माता के नाम से जाना जाता है। शीतला माता को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि चेचक का प्रकोप माता के क्रोध के कारण होता है।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Follow Me
Share this Article
Follow:
4U HINDI ME Desk पर मै ज्यादा तो नहीं कहूँगा पर हाँ थोड़े अनुभवी और कुशल पत्रकार जरुर हैं जो पिछले कई सालों से ख़बरों पर काम कर रहे हैं. 4U HINDI ME की टीम में राजनीति, खेल, सिनेमा, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और वैश्विक ख़बरों जैसे अलग-अलग विषयों पर लिखने वाले भरोसेमंद पत्रकार हैं. ये टीम अपने पाठकों के लिए न सिर्फ खबरें ब्रेक करने में आगे है, बल्कि हर खबर का विश्लेषण भी करती है. यह वेबसाइट विश्व समाचारों का ब्यापक कवरेज प्रदान करेगी. हम लोग इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर लोगों के साथ जानकारी साझा करने के लिए करेंगे. हमारा मुख्य उदेश्य आपसभी को सर्बोतम जानकारी प्रदान करना है
Leave a comment