Bhairav Mandir इस मंदिर में भगवान को जंजीरों से बांधा जाता है और उन्हें शराब चढ़ाई जाती है!

R. PanDey
4 Min Read
Bhairav ​​Mandir In this temple, the lord is tied with chains and liquor is offered to him

Bhairav Mandir: हिंदू धर्म में माना जाता है कि जो भी सच्चे मन से भगवान की भक्ति में डूब जाता है, वह सभी मोह-माया के बंधन से मुक्त होकर वैकुंठ चला जाता है। लेकिन इस भारतीय मंदिर की इस अजीब परंपरा को देखकर यह समझ पाना मुश्किल है कि यहां लोग भगवान Bhairav को जंजीरों से क्यों बांध कर रखते हैं। और उन्हें शराब चढ़ाई जाती है!

यह मंदिर कहाँ स्थित है?

मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में स्थित केवड़ा स्वामी मंदिर Bhagwan Bhairav को समर्पित है। यहां 600 वर्षों से Bhagwan Bhairav की केवड़ा स्वामी के रूप में पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव अपने भक्तों पर सदैव कृपा बनाए रखते हैं और उनकी पूजा करने से घर से नकारात्मक शक्तियां भी दूर हो जाती हैं। इसके अलावा काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है। काल भैरव अष्टमी को कालाष्टमी भी कहा जाता है।

शास्त्रीय मान्यता है कि इसी दिन भगवान भैरव प्रकट हुए थे। इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां भगवान भैरव की मूर्ति जंजीरों से बंधी हुई रखी है। इस मंदिर में बाबा भैरव अपने बटुक भैरव रूप में विद्यमान हैं। बाबा भैरव की यह मूर्ति रूद्र के रूप में सिन्दूर लगाए और सोने-चांदी के मुकुट के साथ नजर आती है। यह बाबा भैरव मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस मंदिर में न केवल भारत से बल्कि विदेशों से भी लोग माथा टेकने और बाबा भैरव से आशीर्वाद लेने आते हैं।

क्या है Bhagwan Bhairav को जंजीरों में बाधने का रहस्य

इस मंदिर में जंजीरों से बंधी हुई भैरव बाबा की मूर्ति रखने से जुड़ी मान्यता यह है कि बाबा भैरव एक बच्चे के रूप में शहर में जाते थे और वहां बच्चों के साथ खेलने लगते थे। और जब उसका मन खेलों से भर जाता या उन्हें किसी बात पर गुस्सा आता तो वह बच्चों को उठाकर तालाब में फेंक देते थे।तो उन्हें रोकने के लिए उनके सामने एक पिलर लगा दिया गया है.

Bhagwan Bhairav Mandir में मदिरा का चढ़ता है भोग

हर साल भैरव पूर्णिमा और अष्टमी के दिन इस मंदिर में बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं। ये दर्शनार्थी मंदिर परिसर में ही दाल बाटी बनाते हैं। भगवान को भोग लगाते है. इसके अलावा यहां आने वाले भक्त भैरव बाबा को शराब भी चढ़ाते हैं।

Bhagwan Bhairav Mandir का इतिहास

जहां तक ​​बाबा भैरव मंदिर के इतिहास की बात है तो ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1424 में केवड़ा स्वामी मंदिर के निर्माण से पहले झाला राजपूत परिवार के कुछ लोग अपने भैरव को गुजरात से ले गए थे। जब वह रत्नसागर तालाब से गुजरे तो उनका पहिया रुक गया और नतीजा यह हुआ कि भैरव महाराज यहीं बस गए। माना जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना झाला वंश के राजा राघव देव ने की थी; और जैसा की वे झाला राजपूत समाज के कुल देवता भी हैं।

इसे भी पढ़े – Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ और उसकी लकड़ियो का क्या होता है?

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Follow Me
Share this Article
Follow:
मैं R. PanDey पेशे से लेखक हूं। इस इंडस्ट्री में मुझे 6 साल का अनुभव है, फिलहाल 4uhindime.com में बेस्ड कंटेंट, ताजा खबर, स्पोर्ट्स, मनोरंजन, टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल, बिज़नस & फाइनेंस OR एजुकेशन से जुड़े कंटेंट क्रिएट करता हूं और नई-नई जानकारी आर्टिकल के माध्यम से आप तक पहुचाता हूं। आपको यहाँ हर एक जानकारी भरोसेमंद मिलेगी।
Leave a comment
हेयर ग्रोथ के लिए यूज करें ये ऑयल हिंदू देवताओं द्वारा सिखाए गए महत्वपूर्ण जीवन के पाठ हार्दिक से लड़ाई की सजा T20 World Cup 2024 में नहीं मिला मौका
हेयर ग्रोथ के लिए यूज करें ये ऑयल हिंदू देवताओं द्वारा सिखाए गए महत्वपूर्ण जीवन के पाठ हार्दिक से लड़ाई की सजा T20 World Cup 2024 में नहीं मिला मौका