Jagannath Rath Yatra 2024: जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ और उसकी लकड़ियो का क्या होता है?

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Jagannath Rath Yatra 2024: What happens to the chariot and its wood after the yatra?

Jagannath Rath Yatra 2024: ओडिशा में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. यह यात्रा हर वर्ष आषाढ़ माह में होती है। इस साल इसकी शुरुआत 7 जून से होगी. धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त भगवान जगन्नाथ का रथ खींचते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है, लेकिन क्या आप जानते है की, यात्रा पूरी होने के बाद इन रथों और उनके डंडों, लकड़ियो का क्या होता है?

जगन्नाथ का शाब्दिक अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। जगन्नाथ जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। Jagannath Rath Yatra के दिन भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलभद्र और छोटी बहन सुभद्रा के साथ तीनो ही अलग-अलग रथों पर सवार होकर नगर को भ्रमण पर निकलते हैं। और जैसा की इन तीनों के लिए ही हर साल Jagannath Rath Yatra के लिए नई रथ बनाई जाती हैं।

जगन्नाथ यात्रा रथ

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ नीम और हांसी के पेड़ों की लकड़ी से बनाए जाते हैं। इन पेड़ों का चयन भी जगन्नाथ मंदिर द्वारा गठित एक विशेष समिति द्वारा किया जाता है। इनका काम स्वस्थ और शुभ नीम के पेड़ों की पहचान करना है। खास बात यह है कि रथ के निर्माण में कील, कांटे या किसी अन्य धातु का इस्तेमाल बिलकुल भी नहीं किया जाता। प्रत्येक वर्ष केवल कुछ परिवारों के सदस्य ही र थबनाते हैं। इस काम के लिए ये लोग किसी आधुनिक मशीन का इस्तेमाल नहीं करते. इनमें से कई लोगों को औपचारिक प्रशिक्षण भी नहीं मिला है. ये लोग अपने पूर्वजों से मिले ज्ञान के आधार पर हर साल सटीक, लंबी और मजबूत रथ बनाते हैं।

जगन्नाथ यात्रा के बाद रथ और उसकी लकड़ियो का क्या होता है?

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मुख्य मंदिर से शुरू होकर 3 किलोमीटर दूर स्थित उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर पर समाप्त होती है। यहां भगवान जगन्नाथ 7 दिनों तक विश्राम करते हैं और फिर घर लौट आते हैं। इसे बाहुड़ा यात्रा कहा जाता है. यात्रा में सबसे आगे बलभद्र जी का रथ चलता है। बीच में बहन सुभद्रा का रथ और पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है. आपको बता दे की ये तीनों ही रथ बहोत बड़ी होती हैं। इन रथो की औसत ऊंचाई 13 मीटर (42 फीट) होती है।

Jagannath Rath Yatra 2024: What happens to the chariot and its wood after the yatra?
———– Jagannath Rath Yatra 2024: What happens to the chariot and its wood after the yatra?

एक बार यात्रा समाप्त होने के बाद, रथ के हिस्सों को अलग कर दिया जाता है। कथित तौर पर रथ का अधिकांश हिस्सा नीलामी के लिए है। इसके हिस्सों का विवरण श्रीजगन्नाथ वेबसाइट पर पाया जाता है। गाड़ी का पहिया सबसे महंगा पार्ट होता है, जिसकी शुरुआती कीमत 50,000 रुपये होती है. रथ के पार्ट्स खरीदने के लिए आपको पहले आवेदन जमा करना होता है। इसके अलावा प्राप्तकर्ता इनका गलत प्रयोग नहीं कर सकता। मंदिर की अधिसूचना के अनुसार, पहियों और अन्य हिस्सों को सुरक्षित रखना खरीदार की जिम्मेदारी है।

नीलामी के अलावा, रथ की बाकी लकड़ी मंदिर की रसोई में भेज दी जाती है। वहां इनका उपयोग देवताओं के लिए प्रसाद पकाने में ईंधन के रूप में किया जाता है। यह प्रसाद प्रतिदिन लगभग 1 लाख भक्तों को दिया जाता है। जिस रसोई में यह प्रसाद बनता है वह भी अपने आप में काफी दिलचस्प है. पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की रसोई एक मेगा रसोई है। यहां भगवान को भोग लगाने के लिए प्रतिदिन 56 प्रकार का प्रसाद तैयार किया जाता है। वही आज भी यह सारा भोजन मिट्टी के बर्तनों में ही बनाया जाता है।

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