Lok Sabha Tear Gas Attack 2023: वही तारीख, वही दिन और लगभग वही समय भी, जब 22 साल पहले आतंकियों ने संसद पर हमला कर (Lok Sabha Attack) मौत का खेल रचा था. ‘ब्लैक वेडनसडे‘ के इस दुखद दिन को याद करते हुए और वीर शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए सांसद सदन में पहुंचे ही थे कि कार्यवाही के दौरान दो संदिग्ध युवक दर्शक दीर्घा से Lok Sabha में कूद पड़े। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की अब वे लोग क्या करे. जब एक युवक हड़बड़ी में सदन के पीछे की ओर मेज पर चढ़कर कूदने लगा और लोकसभा के अंदर रंग-बिरंगा धुआं करने लगा। तो आइये जानते है की आखिर (Lok Sabha Attack) कैसे हुआ हमला, कैसे पकड़े गए आरोपी… एक नजर में देखिए संसद हमले की पूरी घटना को.
Lok Sabha Attack 2023
Parliament Security Breach: लोकसभा की कार्यवाही के दौरान एक युवक दर्शक दीर्घा से कूदकर लोकसभा के अंदर आ गया. ये लड़का एक बेंच से दूसरी बेंच की ओर दौड़ने लगा और स्पीकर की कुर्सी की ओर बढ़ने लगा. और जूता से Tear Gas निकाला और Lok Sabha में धुआ धुआ करने लगा। इस दौरान संसद में अफरा-तफरी मच गई. सांसदों ने मीडिया को बताया कि ये लोकसभा में सार्वजनिक गैलरी से कूद गए थे.
सांसद दर से इधर-उधर भागने लगे. क्यू की इसके हाथों पर “Tear Gas” था। ये लोकसभा में उस वक्त श्रवण दीर्घा से बाहर कूदा जब पश्चिम बंगाल से बीजेपी सांसद खानन मुर्मू बोल रहे थे. सांसदों ने हमलावर को पकड़कर सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया. कार्यवाही भी लोकसभा की स्थगित कर दी गई.
सुरक्षा चूक पर Lok Sabha अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, ”लोकसभा शून्यकाल के दौरान हुई घटना की अपने स्तर पर गहन जांच कर रही है. इस संबंध में दिल्ली पुलिस को आवश्यक निर्देश भी दिए गए हैं.” प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह सिर्फ सामान्य धुंआ था।” तो इस धुएं के बारे में चिंता करने की कोई बात नहीं है…”
प्रारंभिक जांच के अनुसार, दोनों संदिग्धों को पकड़ लिया गया और उनके पास मौजूद वस्तुओं को भी जब्त कर लिया गया।
2001 में 13 दिसंबर संसद पर आतंकी हमला
Lok Sabha Attack: वही तारीख, वही दिन और लगभग वही समय भी, जब 22 साल पहले आतंकियों ने संसद पर हमला कर मौत का खेल रचा था. 13 दिसंबर 2001 की तारीख, को शीतकालीन सत्र के दौरान जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा पांच आतंकी के साथ जब एक सफेद एंबेसेडर कार में करीब साढ़े 11 बजे संसद परिसर में घुस आए थे. लोकसभा सदस्यों के कानों में खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की धमक गूंजने लगी, आंखों के सामने हलचल मच गई, दिमाग में डर की आहट सुनाई देने लगी.
तभी चैंबर में सौ प्रतिनिधि उपस्थित थे और बाहर मौजूद आतंकवादियों ने एके-47 राइफलों से अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। वो आतंकी तबाही मचाने आए थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात वीर जवानों ने उन्हें सदन में घुसने नहीं दिया और बाहर ही मार गिराया. इस हमले में सैनिकों और संसद कर्मचारियों सहित नौ बहादुर लोग मारे गए।
2001 की आतंकी घटना काले अध्याय में दर्ज
Lok Sabha Attack: वर्ष 2001 में हुई आतंकवादी घटना एक काले अध्याय के रूप में दर्ज की गई, जिसे 22 साल बाद बुधवार सुबह इसकी बरसी पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत वरिष्ठ नेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए याद किया। लेकिन आगे जो हुआ वह अप्रत्याशित है, सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाता है और सनसनीखेज भी है.
सांसदों के मन की घबराहट उनकी प्रतिक्रिया में साफ तौर पर महसूस की गई. तृणमूल कांग्रेस सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने साफ कहा कि यह बेहद डरावना अनुभव था. किसी को नहीं पता था कि उनका लक्ष्य क्या है और ये लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं. वहीं, बीएसपी सांसद मलूक नागर ने मीडिया को बयान देते हुए कहा, इस घटना में सबसे पहला ख्याल यही आया कि हम बचे या न बचे, उनके इरादे खराब थे. हो सकता है उसके पास हथियार हों. इससे पहले कि वह कुछ कर पाते, सांसदों ने उन पर हमला कर दिया.