Mission Raniganj – ये कहानी है 1989 में हुई 65 मजदूरों के रेस्क्यू की, Mission Raniganj Real Story

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Mission Raniganj Real Story

Mission Raniganj Akshay Kumar – अक्षय कुमार 1989 में हुई एक सच्ची घटना पर आधारित Film लेकर आ रहे हैं। जिस Film का नाम है मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू। (Mission Raniganj The Great Bharat Rescue) कुछ दिनों पहले इस फिल्म का दमदार टीजर रिलीज किया गया था. और 25 सितंबर को मेकर्स ने इस फिल्म का ट्रेलर भी रिलीज कर दिया. Mission Raniganj फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि कैसे एक बहादुर युवा शख्स ने उस कोयला खदान में फंसे कई लोगों की जान अपनी जान पर खेलकर बचाई.

Bollywood के खिलाड़ी Akshay Kumar पिछले कुछ समय से अपनी आने वाली नई फिल्म मिशनगंज रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू को लेकर चर्चा में बने हुए हैं। यह फिल्म माइनिंग इंजीनियर जसवन्त सिंह गिल पर आधारित है। ट्रेलर में अक्षय जसवन्त सिंह के किरदार में नजर आ रहे हैं।

Mission Raniganj
Mission Raniganj : Image Source – Social Media

7 सितंबर को मेकर्स ने इस फिल्म का दमदार टीजर जारी किया जिसने लोगों के मन में इस कहानी को लेकर उत्सुकता जगा दी अब सामने आए ट्रेलर से फिल्म की कहानी के बारे में और भी बातें सामने आ रही हैं. जसवन्त सिंह गिल के किरदार में अक्षय बेहद प्रभावी लग रहे हैं।

Mission Raniganj –

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ट्रेलर में दिखाया गया कि खदान में पानी भरा होने के कारण मजदूर अंदर फंस जाते हैं. इनकी संख्या 65 होती है. मजदूरों के परिजन भी चिंतित रहते हैं. हर कोई अपनी तरफ से वहाँ फसे लोगो को बचाने की पूरी कोशिश करते है. फिल्म में दिखाया गया की अक्षय कुमार अपना रेस्क्यू प्लान फिर पेश करते हैं. ये ट्रेलर काफी दमदार लग रहा है. इस फिल्म में रवि किशन भी हैं. वह खदान में फंसे खनिकों की भूमिका में हैं. बॉलीवुड के एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा को भी इस फिल्म में लिया गया हैं. वह जसवन्त सिंह गिल की पत्नी का किरदार निभा रही हैं।

Mission Raniganj Real Story –

दरअसल, इस फिल्म की कहानी साल 1989 की है जब पश्चिम बंगाल के रानीगंज में एक खदान में करीब 220 मजदूर रात में काम कर रहे थे। उसी समय दीवार में धमाका होता है, जिसके बाद खदान में पानी भरने लगता है. उस घटना में जसवन्त सिंह गिल ने कई मजदूरों की जान बचाई थी.

Mission Raniganj Release Date –

यह फिल्म का निर्देशन टीनू सुरेश देसाई ने किया है। इससे पहले उन्होंने अक्षय के साथ फिल्म ‘रुस्तम’ बनाई थी, जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया था। फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ पूजा एंटरटेनमेंट द्वारा प्रस्तुत और वाशु भगनानी, जैकी भगनानी, दीपशिखा देशमुख, अजय कपूर द्वारा निर्मित है। यह फिल्म 6 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी.

मिशन रानीगंज की पूरी कहानी –

रानीगंज कोयला खदान की खोज 1774 में ईस्ट इंडिया कंपनी के जॉन सुमनेर और सुएटोनियस ग्रांट हीटली ने की थी। यह खदान पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्धमान जिले के आसनसोल और दुर्गापुर उपखंडों में स्थित है। वहां कोयला खनन का लाइसेंस लॉर्ड वॉरेन हेस्टिंग्स द्वारा दो व्यक्तियों को दिया गया और इस तरह भारत में पहली बार कोयला खनन शुरू हुआ। रानीगंज में नियमित खनन आधिकारिक तौर पर 1820 में अलेक्जेंडर एंड कंपनी के तहत शुरू हुआ और 19वीं और 20वीं शताब्दी के अधिकांश समय तक, रानीगंज देश का अग्रणी कोयला उत्पादक था।

उस समय औद्योगिक पिछड़ेपन और औपनिवेशिक शासन के कारण खनन बेतरतीब ढंग से किया जाता था। उस समय, खदान की छतों और दीवारों को सहारा देने के लिए कोई खंभे नहीं थे और जितना संभव हो उतने संसाधन जुटाने के लिए सभी कोयला नसें समाप्त हो गई थीं। खनिकों का जीवन बेहद जोखिम भरा था, क्योंकि पतन का खतरा लगातार बना रहता था।

Mission Raniganj
Mission Raniganj : Image Source – Social Media

13 नवंबर, 1989 को रानीगंज में काम कर रहे खनिकों ने कोयले की दीवारों को तोड़ने के लिए सिलसिलेवार विस्फोट किये। विस्फोट से खदान की संरचना हिल गई और खनिकों के कार्य स्थल से सटे भूमिगत क्षेत्र में एक दीवार ढह गई। इस दरार के कारण पानी भर गया और छह खनिकों की जान चली गई। जो लोग लिफ्ट के पास थे उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, हालांकि, लिफ्ट के ढहने से 65 खनिक अंदर फंस गए थे। गड्ढे में पानी का स्तर तेजी से बढ़ रहा था और खदान की संरचना अस्थिर थी, जिससे फंसे हुए खनिकों को बचाना मुश्किल हो गया था। .

जहाँ सभी लोगों ने उम्मीद छोड़ दी थी, वही एक युवा इंजिनियर धनबाद के अपनी बहादुरी से सभी लोगो की जान बचाई जिनका नाम, यशवंत सिंह गिल था

गिल ने 21 इंच व्यास वाला छह फुट ऊंचा लोहे का कैप्सूल डिजाइन किया और एक नया बोरहोल खोदकर इसे अंदर डुबो दिया। उन्होंने कैप्सूल को उतारने और उठाने के लिए 12 टन की क्रेन का इस्तेमाल किया और अंदर फंसे 65 खनिकों में से प्रत्येक को एक-एक करके बाहर निकाला। पूरे बचाव अभियान को पूरा करने में गिल को 6 घंटे लगे और 2,000 से अधिक लोगों ने इसे देखा। और अंततः, गड्ढे के अंदर फंसे हर खनिक को इस चतुर और बहादुर आदमी ने बचा लिया।

गिल ने आखिरी खनिकों को बचाये जाने के बाद एक अवर्णनीय अनुभूति का वर्णन किया। हर साल 16 नवंबर को कोल इंडिया गिल और उनकी बहादुरी का सम्मान करने के लिए बचाव दिवस मनाता है। उनके इस वीरतापूर्ण कार्य के लिए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामास्वामी वेंकटरमन ने उन्हें सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया।

Mission Raniganj Bookmyshow –

आप Mission Raniganj का टिकेट बुक यहाँ निचे दिए लिंक पे जाके कर सकते है

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4U HINDI ME Desk पर मै ज्यादा तो नहीं कहूँगा पर हाँ थोड़े अनुभवी और कुशल पत्रकार जरुर हैं जो पिछले कई सालों से ख़बरों पर काम कर रहे हैं. 4U HINDI ME की टीम में राजनीति, खेल, सिनेमा, विज्ञान, टेक्नोलॉजी और वैश्विक ख़बरों जैसे अलग-अलग विषयों पर लिखने वाले भरोसेमंद पत्रकार हैं. ये टीम अपने पाठकों के लिए न सिर्फ खबरें ब्रेक करने में आगे है, बल्कि हर खबर का विश्लेषण भी करती है. यह वेबसाइट विश्व समाचारों का ब्यापक कवरेज प्रदान करेगी. हम लोग इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर लोगों के साथ जानकारी साझा करने के लिए करेंगे. हमारा मुख्य उदेश्य आपसभी को सर्बोतम जानकारी प्रदान करना है
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