रामायण पहले वाल्मीकि या हनुमान किसने लिखी थी? और असली रामायण कौन सा है?

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प्रभु श्री राम के जीवन पर अनेकों रामायण लिखी गई है जिनमे प्रमुख है वाल्मीकि रामायण, श्री राम चरित मानस, कबंद रामायण, जैसा की कबंद एक राक्षस का नाम था, अद्भुत रामायण और आनंद रामायण, लेकिन क्या आप जानते है, रामायण पहले वाल्मीकि या हनुमान किसने लिखी थी? और असली रामायण कौन सा है? आइये जानते है आज के इस आर्टिकल में रामायण से जुडी बहोत सी बाते.

हनुमान, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण देवता हैं। उन्हें वीर हनुमान, मारुति, भीमसेन, पवनपुत्र आदि नामों से भी जाना जाता है। हनुमान जी को वानर सेनापति और प्रभु श्रीराम के भक्त के रूप में जाना जाता हैं।

हनुमान जी का जन्म भारतीय ईतिहास में वाल्मीकि रामायण के अनुसार त्रेतायुग में हुआ था। उनके पिता का नाम केसरी और माता का नाम अंजनी था। हनुमान जी का बचपन कौशल्या देवी, भगवान राम की माता, ने पाला था।

हनुमान जी की कथाएं, उनकी शक्तियाँ और महिमा भगवान राम की यात्रा में महत्वपूर्ण रही हैं। हनुमान जी को बड़ी शक्तिशाली, वीर और सामरिक योग्यता वाले देवता के रूप में जाना जाता हैं। उनकी भक्ति, वीरता और निःस्वार्थ सेवा आदर्शों को भारतीय संस्कृति में मान्यता मिलती हैं।

हनुमान जी का अपार शक्तिशाली वानर सेना में उनकी महत्ता और योगदान के कारण मान्यता हैं। उन्होंने सीता माता को बलि के राज्य से छुड़ाया और हनुमान जी ने लंका में जाकर अपनी शक्ति और बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने रावण के समर्थन में उठाए गए अस्त्रों को नष्ट किया और उन्हें चिताने का कार्य किया। वे सीता माता को लंका से मुक्त करके उन्हें भगवान राम के पास लौटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हनुमान जी की भक्ति और सेवा का उदाहरण भारतीय संस्कृति में महत्वपूर्ण है। उन्हें भगवान राम की भक्ति के परम प्रमाण माना जाता है और उन्हें हनुमान चालीसा, हनुमान अष्टक, हनुमान बाहुक आदि पाठ करके उनकी कृपा प्राप्त करने की प्रथा अनुसर्ता हैं।

भगवान हनुमान को शक्ति का प्रतीक माना जाता है. हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जिनका मंदिर हर स्थान पर आपको आसानी से देखने को मिल जाता है. कलियुग में सबसे ज्यादा भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र अवतार श्रीहनुमानजी को ही पूजा जाता है. इसीलिए हनुमानजी को कलियुग का जीवंत देवता भी माना जाता है.

भगवान हनुमान
भगवान हनुमान: Image Source – Pintrest

हनुमान जी ने रामायण कब लिखी थी?

शास्त्रों के अनुसार, भक्त शिरोमणि हनुमान द्वारा लिखी गई रामायण को हनुमद रामायण के नाम से जाना जाता है। हनुमानजी ने इस रामायण की रचना तब की जब रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम अयोध्या पर राज करने लगे थे।

हनुमान जी ने रामायण एक शिला यानी चट्टान पर वे अपने नाखूनों से लिखी थी, यह रामकथा वाल्मीकिजी की रामायण से भी पहले लिखी गई थी. और जैसा की यह ‘हनुमद रामायण’ के नाम से प्रसिद्ध है.

दोस्तो यह घटना तब की है जबकि भगवान श्रीराम रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या में राज करने लगते हैं. और श्री हनुमानजी हिमालय पर चले जाते हैं. वहां वे अपनी शिव तपस्या के दौरान एक शिला पर प्रतिदिन अपने नाखून से रामायण की कथा लिखते थे. इस तरह उन्होंने प्रभु श्रीराम की महिमा का उल्लेख करते हुए ‘हनुमद रामायण’ की रचना की

कुछ समय बाद महर्षि वाल्मीकि ने भी ‘वाल्मीकि रामायण’ लिखी, और लिखने के बाद उनके मन में इसे भगवान शंकर को दिखाकर उनको समर्पित करने की इच्छा हुई. वे अपनी रामायण लेकर शिव के धाम कैलाश पर्वत पहुंच गए. वहां उन्होंने हनुमानजी को और उनके द्वारा लिखी गई ‘हनुमद रामायण’ को देखा हनुमद रामायण के दर्शन कर वाल्मीकिजी निराश हो गए.

वाल्मीकिजी को निराश देखकर हनुमानजी ने उनसे उनकी निराशा का कारण पूछा तो महर्षि बोले कि उन्होंने बड़े ही कठिन परिश्रम के बाद उन्होंने भी रामायण लिखी थी. लेकिन आपकी रामायण देखकर लगता है कि अब मेरी रामायण उपेक्षित हो जाएगी. क्योंकि आपने जो लिखा है उसके समक्ष मेरी रामायण तो कुछ भी नहीं है.

तब वाल्मीकिजी की चिंता का शमन करते हुए श्री हनुमानजी ने हनुमद रामायण पर्वत शिला को एक कंधे पर उठाया और दूसरे कंधे पर महर्षि वाल्मीकि को बिठाकर समुद्र के पास गए स्वयं द्वारा की गई रचना को श्रीराम को समर्पित करते हुए समुद्र में समा दिया. तभी से हनुमान द्वारा रची गई हनुमद रामायण उपलब्ध नहीं है.

दोस्तो हनुमानजी द्वारा लिखी रामायण को हनुमानजी द्वारा समुद्र में फेंक दिए जाने के बाद महर्षि वाल्मीकि बोले कि हे रामभक्त श्री हनुमान, आप धन्य हैं, आप जैसा कोई दूसरा ज्ञानी और दयावान नहीं है. हे हनुमान, आपकी महिमा का गुणगान करने के लिए मुझे एक जन्म और लेना होगा और मैं वचन देता हूं कि कलयुग में मैं एक और रामायण लिखने के लिए जन्म लूंगा तब मैं यह रामायण आम लोगों की भाषा में लिखूंगा.

रामायण पहली बार किसने लिखी थी?

रामायण की पहली रचना महर्षि वाल्मीकि द्वारा की गई थी। महर्षि वाल्मीकि हिंदी साहित्य के महान कवि और संत रहे हैं। उन्होंने भगवान राम की कथा और उनके जीवन को संस्कृत में आदि काव्य के रूप में रचा। यह रचना ‘वाल्मीकि रामायण’ के रूप में प्रस्तुत होती है, जो भारतीय साहित्य की प्रमुख और प्रसिद्ध महाकाव्यों में से एक है।

महर्षि वाल्मीकि:
महर्षि वाल्मीकि: Image Source – Pintrest

‘वाल्मीकि रामायण’ में भगवान राम के जीवन की कथाओं, उनकी यात्राओं, वनवास के दिनों, सीता हरण के घटनाओं, लंका युद्ध और अंतिम विजय का वर्णन किया गया है। वाल्मीकि रामायण में हनुमान जी की महिमा, उनके सेवा भाव, भक्ति और वीरता का वर्णन भी मिलता है। वाल्मीकि रामायण को संस्कृत साहित्य का अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है और यह भारतीय संस्कृति, धर्म और नैतिकता के मूल आधार रूप में विशेष मान्यता प्राप्त है।

हनुमान से पहले रामायण किसने लिखी थी?

यहां भारतीय कवि वाल्मीकि अपने शिष्यों को रामायण का संपूर्ण इतिहास सुना रहे हैं। वाल्मीकि ने उत्तरी भारत के जंगलों में एक झोपड़ी में एक कवि और साधु के रूप में एक साधारण जीवन व्यतीत किया। भगवान नारद और ब्रह्मा के दौरे के बाद वाल्मीकि को अपनी कविता लिखने के लिए प्रेरित किया गया था।

वाल्मीकि के बाद रामायण किसने लिखी?

तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण का नाम रामचरित मानस है और इसकी रचना सोलहवीं शताब्दी के अंत में गोस्वामी तुलसीदास ने अवधि बोली में की। जबकि वाल्मीकि रामायण लगभग तीन हज़ार साल पहले संस्कृत में लिखी गई थी, जिसका रचयिता आदि कवि महर्षि वाल्मीकी जी को कहा जाता है।

रामायण ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई थी, जो भगवान राम के समकालीन थे। रामचरितमानस की रचना तुलसीदास ने की थी । रामायण संस्कृत भाषा में लिखा गया था। रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखा गया था।

सही और असली रामायण कौन सी है?

महर्षि वाल्मीकि के द्वारा श्लोकबद्ध भगवान श्री राम की कथा को वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है। भगवान राम पर लिखे गए हैं सबसे ज्यादा ग्रंथ : रामायण को वाल्मीकि ने श्रीराम के काल में ही लिखा था इसीलिए इस ग्रंथ को सबसे प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। यह संस्कृत में लिखा गया ग्रंथ है।

रामायण सच है या काल्पनिक?

वाल्मीकि रामायण जोकि एक हिन्दू ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में हिन्दू देवता राम के जीवन और शिक्षाओं का पूरा विवरण मिलता है। हिंदूवादी इस ग्रन्थ में वर्णित घटनाओं और विवरण को ऐतिहासिक बताते हैं। यानि उनके अनुसार रामायण वास्तव में घटित हुई एक घटना है जिसके वे कई सबूत भी दिखाते हैं।

रामायण के बारे में यह कहना काफी कठिन है कि वह सच है या काल्पनिक। रामायण धार्मिक और महाकाव्य के रूप में मान्यता प्राप्त है और हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।

रामायण का मूल रूप महर्षि वाल्मीकि ने लिखा था, और इसमें भगवान राम के जीवन, उनकी यात्रा, उनके धर्मिक और नैतिक आदर्शों का वर्णन है। रामायण के विभिन्न पाठांकों, कथाओं और विवरणों में ऐतिहासिक, धार्मिक और काल्पनिक तत्वों का मिश्रण होता है।

भगवान राम
भगवान राम : Image Source – Pintrest

कुछ लोग रामायण को ऐतिहासिक घटनाओं पर आधारित मानते हैं और इसे पूर्णतः सत्य मानते हैं। वे मानते हैं कि भगवान राम और उनकी यात्राएं वास्तविक रूप से हुई हैं।

दूसरी ओर, कुछ लोग रामायण को केवल एक काव्य, कल्पनिक कथा या धार्मिक सन्दर्भ के रूप में मानते हैं। उनके लिए रामायण एक उत्कृष्ट कविता है, जो धार्मिक और मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है।

अन्य लोग रामायण को एक संगठित धार्मिक कथा या आध्यात्मिक उपनिषद मानते हैं। उनके लिए रामायण एक गहरा और प्रभावशाली उपनिषद है, जो आत्मीयता, धार्मिक मूल्यों, नैतिकता, कर्मयोग, भक्ति और समर्पण के महत्त्व को प्रकट करती है।

इसके अलावा, रामायण को भारतीय साहित्य, संस्कृति और नैतिकता का अद्वितीय स्रोत माना जाता है। इसे बचपन से ही गणना किया जाता है और इसे भारतीय समाज में अनेक भाषाओं में पढ़ा, गाया और पूजा जाता है।

रामायण का महत्त्व धार्मिक और साहित्यिक परंपराओं में साकार रूप से प्रगट होता है। इसे हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण पुराणों में से एक माना जाता है और यह मान्यता प्राप्त है कि रामायण में बताए गए आदर्श, सिद्धांत और उदाहरण जीवन को अधिक सरल, धार्मिक और सार्थक बनाने के लिए हमें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

अंततः, रामायण को सच हो या काल्पनिक, इसका महत्त्व उसके प्रभाव, सन्देश, धार्मिक अर्थ और मनोवैज्ञानिक गहराई पर निर्भर करता है। रामायण ब्रह्माण्ड में साधारण मानवीय चरित्रों, रिश्तों, संघर्षों और उन्नति की कथा के रूप में प्रस्तुत की जाती है। इसके माध्यम से, यह धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों को समझाने, धर्मी सामाजिक आदर्शों को प्रशंसा करने और अच्छे और बुरे के बीच अच्छाई के मार्ग को प्रदर्शित करने का प्रयास करती है।

भक्तियोग की दृष्टि से देखें तो, रामायण भक्ति और प्रेम का प्रतीक है। राम भक्ति में समर्पित रहने वाले श्रद्धालु लोग उसे एक आदर्श और परम पुरुष के रूप में मानते हैं और उन्हें अपने जीवन के मार्गदर्शन के लिए लेते हैं।

रामायण में हनुमान का असली नाम क्या है?

हनुमान का असली नाम “मारुति” है। हनुमान को अपनी माता अनजना देवी के द्वारा जन्म दिया गया था और वायुदेव का अवतार माना जाता है। उनका दूसरा प्रसिद्ध नाम हनुमान है, जो उनकी माता के एक विशेष बाल बाल्य अवस्था के कारण रखा गया था। इसलिए, हम उन्हें हनुमान या मारुति नाम से जानते हैं। हनुमान की भक्ति, वीरता और भक्ति के प्रतीक के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।

भारत में कितने रामायण लिखे गए हैं?

भारत में कई रामायण लिखे गए हैं। यहां कुछ प्रमुख रामायण उल्लिखित हैं:

01. आदिकाव्य रामायण (वाल्मीकि रामायण): इसका वाल्मीकि महर्षि द्वारा लिखा जाना माना जाता है। यह सबसे प्राचीन और मान्यता प्राप्त रामायण है और संस्कृत भाषा में लिखा गया है।

02. तुलसीदास रामायण: संत तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में लिखा गया यह रामायण महत्वपूर्ण है। हिंदी भाषा में लिखे गए यह ग्रंथ बहुत प्रसिद्ध हैं और ‘रामचरितमानस’ के नाम से भी जाना जाता है।

03. कृष्ण द्वैपायन व्यास रामायण (आदि रामायण): इसे आदि कवि व्यास महर्षि द्वारा लिखा गया माना जाता है। इस रामायण को संस्कृत भाषा में लिखा गया है और यह आदि पुराण में सम्मिलित है।

04. काम्ब रामायण: इसे काव्य महाकाव्य के रूप में जाना जाता है, और इसे काव्य में तमिल भाषा में लिखा गया है।

हनुमान -
भगवान हनुमान: Image Source – Pintrest

इनके अलावा, अनेक रामायण कथाओं, अद्भुत रामायणों, लोककथाओं और जनजाति ग्रंथों में भी रामायण की विविध रूपांतरणें मिलती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख रामायण जैसे बंगलादेशी रामायण, ओडिया रामायण, मलयालम रामायण, कश्मीरी रामायण आदि हैं। यह सभी रामायण अपने विशेषताओं और क्षेत्रीय सांस्कृतिक परंपराओं के साथ मान्यता प्राप्त हैं।

इसके अलावा, आधुनिक काल में भी कई लोगों ने रामायण के आधार पर अपने रचनात्मक कार्यों को लिखा है। इनमें से प्रमुख हैं रवींद्रनाथ टैगोर की ‘श्रीरामपद’, कालिदास के ‘रघुवंश’ और कम्बन की ‘अद्भुत रामायण’।

संक्षेप में कहें तो, भारत में अनेक रामायण लिखे गए हैं, जिनमें धार्मिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक महत्व है। इन विभिन्न रामायणों के माध्यम से, रामायण की कथा, उपदेश और आदर्शों को अलग-अलग भाषाओं और संस्कृतियों के अनुसार प्रस्तुत किया गया है।

रामायण का दूसरा नाम क्या है?

रामायण का दूसरा नाम है “रामचरितमानस”। इसे भगवान श्रीराम के चरित्रों का मानसी रूप में वर्णन करने के लिए संत तुलसीदास द्वारा लिखा गया है। रामचरितमानस के द्वारा रामायण की कथा एवं उपदेश को अवधी भाषा में बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह काव्य महाकाव्य भारतीय साहित्य का महत्त्वपूर्ण अंश है और हिंदी भाषा की गरिमा को बढ़ाने वाला काव्य ग्रंथ माना जाता है।

रामायण का पूरा नाम क्या है?

रामायण का पूरा नाम है “श्रीमद् वाल्मीकि रामायण”। इसका उपयोग कर्मयोगी राजर्षि वाल्मीकि महर्षि द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया है। यह महाकाव्य भारतीय साहित्य का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और हिन्दू धर्म की प्रमुख ग्रंथों में से एक है। श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में प्रभु श्रीराम के जीवन के घटनाक्रम, रावण वध, हनुमान जी की भूमिका, सीता जी का अपहरण, लंका यात्रा, सुग्रीव के संगठन में युद्ध, और धर्म और नैतिकता के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है।

राम का नाम दो बार क्यों लिया जाता है?

राम का नाम दो बार लिया जाता है क्योंकि भगवान राम के दो विभिन्न अवतार होते हैं जो उनके धर्मिक महत्व को प्रकट करते हैं।

परमात्मा राम: पहले, राम का नाम “परमात्मा राम” के रूप में होता है। यह राम विष्णु भगवान का एक अवतार माना जाता है और उन्हें सृष्टि के पालन का जिम्मा दिया गया है। इस रूप में राम, सत्य, धर्म, धैर्य, करुणा और अधिकार के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत होते हैं।

मानव राम: दूसरे, राम का नाम “मानव राम” के रूप में होता है। यह राम भगवान का मानव रूप होता है, जो अयोध्या के राजा दशरथ और कौशल्या के पुत्र के रूप में जन्म लेते हैं। इस रूप में राम, मानवता के आदर्श, पतिव्रता, पुत्रभक्ति, बाल्य, ब्राह्मचर्य, और एक आदर्श राजा के रूप में प्रस्तुत होते हैं।

इस तरह, राम के द्वारा प्रदर्शित दोनों अवतार उनके भगवानीय और मानवीय स्वरूप को प्रतिष्ठित करते हैं और उनके महत्वपूर्ण गुणों को जारी करते हैं। राम के द्वारा प्रदर्शित दो नामों के माध्यम से, उनकी दिव्यता और मानवीयता का समन्वय दिखाया जाता है। वे परमात्मा और मानवता के समर्थन करने के लिए भारतीय संस्कृति और धर्म के आदर्श हैं।

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