हिन्दू धर्म में रोज सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाना, अर्पित करना या इसे आप अर्घ्य देने की परम्परा भी बोल सकते है. और जैसा की सूर्य नारायण को रोज सुबह लगभग लाखो-करोडो लोग जल अर्पित करते है. इन्हें हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता माना जाता हैं। लेकिन इनमे से कुछ ही लोग सूर्य नारायण की पूजा सही ढंग से कर पाते होंगे. क्यू की सूर्य भगवान को जल अर्पित करते समय कुछ लोग मंत्रो का ना तो जाप करते है. और ना ही उन्हें सूर्य को जल अर्पित करने की विधि के बारे में पता होता है.
जिन्हें पता भी होता है, वे सही ढंग से मंत्रो का उच्चारण नही कर पते. कई लोग तो बिना मंत्र उच्चारण के ही सूर्य भगवान को जल अर्पित कर देते है। लेकिन आपको बता दे की जितना आवश्यक सूर्य भगवान को जल अर्पित करना है। उतना ही आवश्यक जल अर्पित करते समय मंत्रोच्चारण का भी है। तो आइये आज के इस आर्टिकल में जानते है. सूर्य नारायण को जल अर्पित करते समय कौन-कौन से मंत्रो का हमे जाप करना चाहिए. और सूर्य को जल अर्पित करने की विधि, जल अर्पित करते समय हमें क्या गलती नही करनी चाहिए वो सब जानते है.
जैसा की सूर्य भगवान को ग्रहों का राजा माना जाता है। इन्हे कलयुग में देखें जाने वाले एकमात्र देवता माना जाता है। सूर्य भगवान के नियमित रूप से पूजा करने के बाद जीवन में शांति और खुशहाली आती है। जैसा की सूर्य भगवान को सभी जीवन का स्रोत माना जाता है और उन्हें शक्ति, ज्ञान, प्रकाश, सुन्दरता और जीवन के संरक्षण का प्रतीक भी माना जाता है। हिंदू मिथोलॉजी में, सूर्य को सूर्य देवता, सूर्यनारायण, आदित्य और भास्कर भी कहा जाता है। वे माता काली के पति और विष्णु भगवान के एक अवतार माने जाते हैं। सूर्य का वाहन एक सप्तर्षि है, जिन्हें हिंदी में रथ कहा जाता है।
सूर्य भगवान को जल अर्पित करते समय कौन से मंत्र का जाप करे?
जैसा की सूर्य देव के 12 नाम है, जिनका उच्चारण हमे सूर्य भगवान को जल अर्पित करते समय करना चाहिए। इन्ही 12 नामो को सूर्य भगवान को जल अर्पित करते समय मंत्रोच्चारण करना चाहिए। तो आइए सूर्य भगवान के वो 12 नामो को जानते है। जिसे सूर्य अर्घ्य मंत्र भी कहा जाता है। इसलिए सूर्य भगवान को जल अर्पित करते समय करे इन मंत्रो का जाप
01. ॐ मित्राय नमः
02. ॐ रवये नमः
03. ॐ सूर्याय नमः
04. ॐ भानवे नमः
05. ॐ खगाय नमः
06. ॐ पुष्पे नमः
07. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः
08. ॐ मरीचये नमः
09. ॐ आदित्याय नमः
10. ॐ सवित्रे नमः
11. ॐ अर्काय नमः
12. ॐ भास्कराय नमः
इसके अलावा सूर्य भगवान को जल डालते समय आप इस मंत्र का भी उच्चारण कर सकते है। “ॐ घृणिम सूर्य आदित्यमु” इस मंत्र को आप 7 बार या 11 बार जाप करें। और सूर्य भगवान को पूरा जल चढ़ाने के बाद तांबे के पात्र से जल की एक बूंद लेकर अपने माथे पर जरूर लगाएं। वही अनुष्ठान के बाद आप चंदन का टीका भी जरूर लगाए।
सूर्य को जल अर्पित करने की विधि
सबसे पहले तो आप स्नान के बाद ही सूर्य भगवान को जल अर्पित करे। और नहाने के बाद सूर्य भगवान को जल अर्पित करते समय नीचे आप अंगोछा यानी की टॉवेल को ही पहने। न की जींस शर्ट या फिर जो भी नार्मल आप घर पे पहनते है. उसे आपको बिलकुल भी नहीं पहनना है. हो सके तो आप एक पूजा के लिए अलग से टॉवेल रखे. यहाँ तक की आपके पूरे बदन में कही कपड़ा नहीं होना चाहिए। सिर्फ नीचे आप अंगोछा यानी की टॉवेल ही पहन कर जल अर्पित करे. और आप गीले बदन में ही तांबे के लोटा से सूर्य भगवान की ओर अपना मुंह करके जल को अर्पित करे।
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ऐसा इसलिए क्यू की सूर्य से निकलने वाली किरणें हमारे पूरे शरीर पे पड़े। कहते है इससे हमारी शरीर में जिस रंगो की कमी होती है, वो पूरी हो जाती है। ऐसा करने से हमारे स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात कि आप जब सूर्य भगवान को जल अर्पित करे। तो जल अर्पित करते समय जल की गिरती धार में सूर्य की किरणों को जरूर देखे। ऐसे सूर्य की किरणों को देखना शुभ माना जाता है।
सूर्य भगवान को जल चढ़ाते समय जल में क्या डाले
आपको बता दे की सबसे पहले तो सूर्य भगवान को तांबे के पात्र से ही जल अर्पित करना चाहिए। सूर्य का महत्व और जैसा की आप नीचे दिए सामग्री का भी उपयोग कर सकते हैं।
1. शुद्ध जल: सबसे पहले तो आप सूर्य भगवान को जो जल अर्पित करने जा रहे हैं। वो शुद्ध होना चाहिए। और सूर्य भगवान को जल चढ़ाते समय आप पानी में लाल फूल जैसे उड़हुल, कुमकुम और अक्षत, थोड़ा सा गंगाजल को भी डाल सकते है।
2. गंगाजल: जैसा की आप सभी जानते है गंगाजल को शुद्ध जल और पवित्र माना जाता है। और यह हिंदू धर्म में शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। आप गंगाजल को भी सूर्य भगवान को अर्पित करने के लिए उपयोग कर सकते है।
3. रोमाल: जल को अर्पण करते समय आप एक साफ और सुखे हुए रोमाल का उपयोग कर सकते हैं। इसे पहले अच्छी तरह से धोएं और सूखा लें। फिर उसे जल में डुबोकर सूर्य भगवान की ओर अर्पित करें।
4. फूल: आप सूर्य भगवान को जल चढ़ाते समय फूल का भी उपयोग कर सकते हैं। जैसा की सूर्य भगवान को पुष्प पसंद हैं और फूल उनके आराधना में भी प्रयोग किए जाते हैं।
5. धूप और दीप: सूर्य भगवान को आदर्श रूप से धूप और दीप के साथ अर्पित किया जा सकता है। यह परंपरागत रूप से पूजा में उपयोग होने वाले आदर्श पदार्थ हैं। आप सूर्य भगवान को जल अर्पित करने के बाद, धूप और दीप जरूर दिखाए।
दोस्तो आपकी श्रद्धा और भावना सर्वोपरि होनी चाहिए जो आपकी पूजा को पूर्णता और स्वीकृति प्रदान करती है।
सूर्य भगवान को जल कितने बजे देना चाहिए?
सूर्य भगवान को जल अर्पण करने का सही समय और सूर्य का महत्व सूर्योदय के समय होता है। और इसी समय हम स्नान भी करते है. जैसे की सूर्योदय का समय दिन-दिनांक और स्थान के आधार पर बदलता है. क्योंकि यह निर्धारित सूर्य के विचारी क्षेत्र के आधार पर होता है। साधारणतः, सूर्योदय प्रातः काल के आसपास होता है, जब पहली सूर्यकिरणें दिखाई देने लगती हैं।
इसलिए, आपको स्थानीय सूर्योदय समय को जानकर सूर्य भगवान को जल अर्पण करना चाहिए। आप अपने नजदीकी पंडित, पुजारी, वेबसाइटों, धार्मिक पंचांग या मोबाइल ऐप्स के माध्यम से सूर्योदय का समय जान सकते हैं।
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सूर्य देव के मंदिर और पूजा स्थल भारत और अन्य हिंदू धर्म के संप्रदायों में प्रचलित हैं। उनके मंदिर में रोज़ाना सूर्योदय के समय पूजा की जाती है और उनके लिए खीर, फल, फूल, धूप, दीप, नई वस्त्र और नमस्कार की जाती है। सूर्य देव का त्योहार मकर संक्रांति भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जब लोग उन्हें नमस्कार करते हैं और सूर्य उदय को देखने के लिए गंगा स्नान भी करते हैं।
क्या आप जानते है ऐसा कौन सा राज्य है जहा सूर्य भगवान की पूजा उगते हुए भी की जाती है और डूबते हुए भी अगर आपको पता है तो आप हमे कॉमेंट में बताए
Conclusion –
हमें आशा है की आज के इस पोस्ट में जो आपको जानकारिया दी गई है. सूर्य भगवान और सूर्य को जल अर्पित करने की विधि को लेके इसे आप ठीक से पूरी तरह पढ़े होंगे. और इस पोस्ट से आप पूरी तरह से संतुस्ट भी होंगे. दोस्तों अगर आपको अभी भी कोई दिक्कत या फिर आपको कुछ ना समझा हो इस पोस्ट के जरिये तो आप हमें कमेट जरुर करे.