Viral कहावत 2 जून की रोटी का मतलब क्या होता है? 2 June Ki Roti पर चुटकुले

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2 June Ki Roti: दोस्तों जून महीने की 2 तारीख Social Media पर हर साल Trand करती है, जोक्स से लेकर कहावतें खूब Viral होती हैं. किताबें से लेकर बड़े- बुजर्गों तक से हम यह सुनने को मिलता हैं कि ‘दो जून की रोटी किस्मत वालों को ही मिलती है.

इसको पाने के लिए लोगों को मेहनत का पसीना बहाना पड़ता है. और जैसा की आज यही दिन है, जिसको लेकर Social Media पर हमें खूब Post देखने को मिलता हैं. तो आइये दोस्तों आज के इस आर्टिकल में जानते है, 2 जून की रोटी का मतलब क्या होता है, Viral कहावत और 2 June Ki Roti पर कुछ चुटकुले.

2 जून की रोटी का मतलब क्या होता है?

2 June ki Roti Meaning – दो जून की रोटी का अर्थ होता है, दो वक्त की रोटी. यानी सुबह और शाम का भोजन. जब किसी को दोनों वक्त का खाना नसीब हो जाए तो उसे दो जून की रोटी खाना कहते हैं और जिसे नहीं मिलता उसके लिए कहा जाता है कि इसे दो जून की रोटी तक नहीं नसीब हो रही है!

दरअसल दोस्तों, इसका अर्थ ये होता है, जैसे की कभी आप किसी काम के वजह से खाना तक नहीं खा पाते, क्यू की आपको खाना खाने से ज्यादा आपका काम इम्पोर्टेंट है. इस वजह से आपका खाना, खाना तो रेह जाता है, इसलिए लोगो का कहना होता है की 2 जून की रोटी किस्मत वालो को मिलती है. आपको बता दे की असल ज़िन्दगी में इसका कोई मतलब नहीं है. लोगों ने युही इसे वायरल (Trand) कर दिया.

2 जून की रोटी क्या हैं इस वायरल कहावत के मायने –

जानकारी – जैसा की जून में भयकंर गर्मी पड़ती होती है, और इस महीने में अक्सर सूखा पड़ता है. इस वजह से चारे-पानी की कमी हो जाती है. जून में ऐसे इलाकों में रह रहे परिवारों को दो वक्त की रोटी के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. कहते है इन्हीं हालातों के वजह से ‘दो जून की रोटी’ प्रचलन में आई.

रोटी दिवस कब मनाया जाता है?

“रोटी दिवस” का मनाने का कोई विशेष मान्यता या परंपरा नहीं है, जिसे संदर्भ में बताया जा सके। “रोटी दिवस” एक उपाय हो सकता है जिसे लोग अपनी परंपरागत और सामाजिक मान्यताओं के अनुसार मनाते हैं, लेकिन इसका विश्वसन क्षेत्रबद्ध रूप से व्यापक नहीं है। रोटी रोजाना उपयोग में आने वाला एक प्रमुख आहार है और इसे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा माना जाता है।

यह अलग-अलग दिनों और संदर्भों में मनाया जा सकता है, लेकिन ऐसा कोई निश्चित तिथि या दिन नहीं है जिसे “रोटी दिवस” के रूप में सामान्य रूप से माना जाए। हलाकि लोग इसे International Roti Day 13 February को मानते है.

रोटी का आविष्कार कैसे हुआ?

रोटी, भारतीय खाद्य पदार्थों में मुख्य रूप से उपयोग होने वाला एक प्रकार का आहार है। रोटी का आविष्कार प्राचीन काल में हुआ था, जब मानव समुदाय खाद्य संसाधनों का उपयोग करने के लिए विभिन्न तरीकों का अध्ययन कर रहे थे। रोटी को आविष्कार नहीं, बल्कि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे समय के साथ विकसित किया गया है।

शुरुआत में, मनुष्य अनाज को पीसकर उसका आटा बनाता और फिर इस आटे को भोजन बनाने के लिए उपयोग करता था। यह आटा पानी के साथ मिश्रित किया जाता था और फिर इसे धोते हुए लोग गोल या छपाती की तरह पतली पुरजों में बेलते थे। इसके बाद, इन पुरवजों को सीधे आग पर या सुखाने के लिए गर्म पत्थरों पर रख दिया जाता था।

यह प्रक्रिया उस समय अप्रचलित थी और धीरे-धीरे इसे विकसित किया गया। कालान्तर में, गेहूं और दूसरे अन्नद्रव्यों की खेती विकसित हुई, और इससे आटा बनाने की प्रक्रिया भी परिवर्तित हुई।

रोटी शब्द कहां से आया है?

“रोटी” शब्द का उगम संस्कृत शब्द “रोटिका” से हुआ है। “रोटिका” का अर्थ होता है “दूसरी ओर सेंधा हुआ आटा” या “गोल आटे की रोटी”। यह शब्द संस्कृत से प्राप्त हुआ और विभिन्न भाषाओं में उसका प्रयोग होता आया। विभिन्न भाषाओं में “रोटी” या उससे मिलते-जुलते शब्दों का उपयोग भोजन के एक प्रकार को संकेत करने के लिए किया जाता है।

२ जून की रोटी
२ जून की रोटी: Image Source – Pintrest

मध्य और आधुनिक अंग्रेजी शब्द ब्रेड जर्मनिक भाषाओं में प्रकट होता है, जैसे पश्चिमी फ़्रिसियाई: ब्री, डच: ब्रूड, जर्मन: ब्रॉट, स्वीडिश: ब्रोड, और नार्वेजियन और डेनिश: ब्रोड; यह काढ़ा या शायद तोड़ने से संबंधित हो सकता है, जिसका मूल अर्थ “टूटा हुआ टुकड़ा”, “निवाला” है।

रोटी का पूरा नाम क्या है?

रोटी का पूरा नाम “चपाती” है। चपाती एक भारतीय रोटी का प्रमुख रूप है और इसे आमतौर पर गेहूं के आटे से बनाया जाता है। यह एक पतली, गोल और रंधेयारूपी रोटी होती है, जिसे तावे या गर्म पत्थर पर पकाकर बनाया जाता है। चपाती भारतीय खाद्य पदार्थों का प्रमुख हिस्सा है और यह दाल, सब्जी, या अन्य व्यंजनों के साथ सर्वाहारिक रूप से उपयोग होती है। चपाती, फुल्का, रूटी (बंगाली) आदि।

रोटी से पहले लोग क्या खाते थे?

रोटी से पहले, मानव समुदाय भोजन के लिए विभिन्न प्रकार के आहार पदार्थों का उपयोग करते थे। यह आहार पदार्थ उनके आवास स्थान, भूमि, सामाजिक संस्कृति और उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर करता था। पहले जब आधुनिक मानव का उदय हुआ, तब तक हमारे पूर्वजों ने पके हुए स्टार्च, मीट (अंगों सहित), मेवे, फल और अन्य पौधों के खाद्य पदार्थों का सर्वाहारी आहार अपना लिया था।

01. एक आदमी दूकानदार से पूछता है, “2 जून की रोटी है क्या?”
दूकानदार बोलता है, “नहीं, सालभर में सिर्फ 365 दिन की रोटी होती है।”

02. एक व्यक्ति अपने दोस्त से पूछता है, “तेरे पास 2 जून की रोटी है?”
दोस्त कहता है, “हाँ, लेकिन मुझे नहीं पता कि यह आज की है या कल की!”

03. एक व्यक्ति एक रेस्टोरेंट में जाता है और वहां पर उसके सामने सर्वर खड़ी होती है। वह पूछता है, “2 जून की रोटी कहाँ मिलेगी?” सर्वर हँसते हुए कहती है, “सर, हमें तो सभी दिनों की रोटी मिलती है, आप चाहें तो बता दीजिए कि आप किस रोटी की बात कर रहे हैं।”

04. चिंटू( मिंटू से)-
आज का दिन काफी खास है।
मिंटू – क्यों
चिंटू- क्योंकि आज के दिन के लिए हम पूरी जिंदगी काम करते हैं।
मिंटू- वो कैसे
चिंटू- आज 2 जून है ना, हम सभी 2 जून की रोटी के लिए तो काम करते हैं।

05. पप्पू- यार 2 जून की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती है।
गप्पू- हां यार बात तो सही कही
पप्पू- इसलिए तो मैंने आज रोटी नहीं पकोड़े खा लिए।

ये चुटकुले मनोरंजन के लिए हैं और इसे हंसी के लिए लिया जाना चाहिए। कृपया इनका मनोरंजन का रूप मानें और अपने सामग्री के संदर्भ में उपयोग न करें।

Conclusion

हमें आशा है की आज के इस पोस्ट में जो आपको जानकारिया दी गई है. की Viral कहावत 2 जून की रोटी का मतलब के बारे में इसे आप ठीक से पूरी तरह पढ़े होंगे. और इस पोस्ट से आप पूरी तरह से संतुस्ट भी होंगे. अगर दोस्तों आपको अभी भी कोई दिक्कत या फिर आपको कुछ ना समझा हो इस पोस्ट के जरिये तो आप हमें कमेट जरुर करे.

https://youtu.be/QJ4h13GjaKg

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