Sakibul Ghani Ranji Trophy:- ऐसा कहा जाता है कि नदी की तरह प्रतिभा भी सभी बाधाओं को पार कर अपनी किस्मत खुद ही ढूंढ लेती है। कुछ ऐसी ही कहानी है मोतिहारी के रहने वाले 23 साल के Sakibul Ghani की. मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले Sakibul Ghani दाएं हाथ के बल्लेबाज हैं और मध्यम गति से गेंदबाजी करते हैं। वह रणजी टूर्नामेंट में बिहार टीम के उपकप्तान हैं और इस समय शानदार फॉर्म में हैं. एलीट ग्रुप में बिहार टीम का पहला मैच मुंबई से है. इस टूर्नामेंट में वे बेहतरीन बल्लेबाजी से मुंबई के खिलाड़ियों को मात दे रहे हैं. उनकी प्रतिभा के कारण मात्र एक वर्ष में ही उन्हें बिहार रणजी का उप-कप्तान बनाया गया।
Sakibul Ghani डेब्यू मैच में ही तिहरा शतक जड़ा
मोतिहारी विधानसभा के चंद्रहिया गांव के रहने वाले Sakibul Ghani अपने गांव की सड़कों पर खेलते हुए रणजी में आए और डेब्यू मैच में मिजोरम टीम के खिलाफ 341 रन बनाए. इसके साथ ही साकिबुल प्रथम श्रेणी मैच में पदार्पण पर तिहरा शतक बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बन गए। उन्होंने फरवरी 2022 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया और केवल दो वर्षों में बिहार रणजी उप-कप्तान बन गए। Sakibul Ghani अपनी विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। गेंदबाजी में भी अच्छे खिलाड़ी बुल्स का सामना करने से डरते हैं।
Sakibul Ghani का संघर्षों से भरा रहा जीवन
सकीबुल के पिता मनन गनी शुरू में एक किसान थे और एक सार्वजनिक वितरण स्टोर चलाते थे। जब खेती और दुकान से मिलने वाले पैसों से घर चलाने में दिक्कतें आने लगीं तो उन्होंने मोतिहारी मीना बाजार में आफिया स्पोर्ट्स नाम से दुकान खोली। सकीबुल चार भाइयों और तीन बहनों में सबसे छोटा है। वही साकिबुल के कोच भी उनके बड़े भाई फैशल गनी रहे हैं।
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फैशल गनी अंडर-16, अंडर-19 के साथ हेमन और बिजी ट्रॉफी में भी खेल चुके हैं। साकिबुल की सफलता में उनकी मां का बहुत बड़ा योगदान है. मां का कहना है कि साकिबुल जब आठ साल का था तब उसे क्रिकेट की लत लग गई थी. वही जब Sakibul खेलते थे तो उनकी विस्फोटक बल्लेबाजी देखने के लिए स्टेडियम भर जाता है.
Sakibul Gani World Record
Sakibul Gani Record- बिहार के 22 वर्षीय बल्लेबाज साकिबुल गनी ने प्रथम श्रेणी पदार्पण पर किसी क्रिकेटर द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर का रिकॉर्ड तोड़कर इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज कराया. और प्रथम श्रेणी पदार्पण पर तिहरा शतक बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने, गनी ने कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस 2 ग्राउंड में मिजोरम के खिलाफ रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) प्लेट ग्रुप मैच में सिर्फ 405 गेंदों पर 56 चौकों और 2 छक्कों की मदद से 341 रन बनाए। और जैसा की उन्होंने 84.20 का स्ट्राइक रेट बरकरार रखा.
प्रथम श्रेणी पदार्पण पर पिछला सर्वोच्च प्रदर्शन भी एक भारतीय का था। मध्य प्रदेश के अजय रोहेरा ने तीन साल से अधिक समय तक यह रिकॉर्ड कायम रखा। उन्होंने दिसंबर 2018 में इंदौर में हैदराबाद के खिलाफ नाबाद 267 रन बनाए थे। इस सूची में तीसरे स्थान पर मुंबई के पूर्व कप्तान अमोल मजूमदार हैं। उन्होंने 1993-94 सीज़न में पहली बार 260 रन बनाए थे।
Sakibul Gani Highest Score
सकीबुल, जिनके पास 14 मैचों में 377 रनों के साथ एक अच्छा लिस्ट ए रिकॉर्ड है, 5वें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए जब बिहार का स्कोर 3 विकेट पर 71 रन था। इसके बाद उन्होंने बाबुल कुमार के साथ चौथे विकेट के लिए 538 रन की विशाल साझेदारी की। 229 रन पर नाबाद रहने पर बिहारी ने अपनी पहली पारी 5 विकेट पर 686 रन पर घोषित करने का फैसला किया।
Sakibul Gani IPL Auction
Ranji Trophy में मात खाने के बाद भी आईपीएल में क्यों नहीं उतर पाते बिहार के खिलाड़ी, यहां जानें वजह- Ranji Trophy में खिलाड़ियों की कड़ी मेहनत के बावजूद बिहार के खिलाड़ियों को आसानी से आईपीएल में एंट्री नहीं मिलती है. आईपीएल 2022 की नीलामी में कई युवा भारतीय खिलाड़ियों की किस्मत रातों-रात चमक गई। आईपीएल इस समय भारतीय घरेलू खिलाड़ियों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का सबसे बड़ा मंच है। एक तरफ जहां आईपीएल को दुनिया की सबसे कठिन टी20 लीग कहा जाता है. वही दूसरी ओर रणजी ट्रॉफी है, जिसमें भारतीय घरेलू सर्किट के बड़े खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं.
जिसके चलते कई कड़े मुकाबले देखने को मिलते हैं। खासकर इस साल Ranji Trophy में बिहार के खिलाड़ी साकिबुल गनी ने अपने फर्स्ट क्लास डेब्यू मैच में तिहरा शतक जड़कर सभी को चौंका दिया. लेकिन इसके बाद भी उन्हें आईपीएल में किसी भी टीम के साथ जुड़ते हुए नहीं देखा गया. आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह.
दरअसल, Ranji Trophy टूर्नामेंट भारत का सबसे प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट है। इस टूर्नामेंट की शुरुआत भारत की आजादी से पहले ही साल 1934-35 में हो गई थी. इसलिए पहला रणजी ट्रॉफी मैच 88 साल पहले खेला गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बाद 2018-19 में 9 नई टीमों को मौका दिया गया. इसमें पुडुचेरी, बिहार, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और सिक्किम की टीमें शामिल थीं।
अधिक टीमें होने के कारण रणजी ट्रॉफी टूर्नामेंट में नए खिलाड़ी आते रहे और खेल का स्तर गिरता गया. इसलिए अब इस टूर्नामेंट में खिलाड़ियों के प्रदर्शन को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता. इसके अलावा रणजी और आईपीएल के फॉर्मेट भी अलग-अलग हैं. यही कारण है कि आईपीएल फ्रेंचाइजी विजय हजारे और मुश्ताक अली ट्रॉफी के आधार पर भारतीय खिलाड़ियों पर दांव लगाना पसंद करती हैं।
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