श्री कृष्ण लीला – जाने क्यू कान्हा ने धारण किया था किन्नर का रूप

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भगवान श्रीकृष्ण की कई ऐसी कथाएं हैं जो आपने सुनी और पढ़ी होंगी, ऐसे में आज हम आपको कान्हा के उस अवतार के बारे में बतायेंगे, जब उन्हें दो बार किन्नर बनना पड़ा था, जी हाँ दोस्तो, आपको बता दें कि पहली बार जब कान्हा किन्नर बने तो वह प्यार की मजबूरी थी, और दूसरी बार जब वह किन्नर बने तो धर्म के लिए जरुरी था, तो आइए दोस्तो आज के इस आर्टिकल में जानते हैं. क्यू 2 बार कान्हा ने धारण किया था किन्नर का रूप

कृष्ण भगवान् हिन्दू धर्म के प्रमुख देवता में से एक हैं। वे भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाते हैं। कृष्ण का जन्म महाभारत काल में हुआ था और वे यदु वंश के राजकुमार थे। उनके जन्म स्थान मथुरा और उनके बचपन का ग्रामवास गोकुल विख्यात हैं।

क्यू 2 बार कान्हा ने धारण किया था किन्नर का रूप

दोस्तो जैसा की श्री कृष्ण की लीला अपरंपार थी, उनकी लीलाओं ने सभी को कुछ ना कुछ जरूर सीख दी, और उनकी लीला का कुछ ना कुछ उद्देश्य जरूर रहा, कभी असत्य पर विजय पाने का तो कभी लोगों के दुख दूर करने का बात हो खुशी की तो वो भी कृष्ण लीला ने सिखाया और जैसा की प्रेम करना भी कृष्ण ने ही सीखाया, जब भी कृष्ण के जीवन काल के बारे में हम सोचते हैं, तो सबसे पहले उनकी लीलाएं ही होती हैं.

श्री कृष्ण

कृष्ण के बाल लीलाएं, गोपियों के संग रास लीला, गोपियों को मोहन बनाने वाले मधुर भाव, वृंदावन की प्रेम और विरह भक्ति भगवान कृष्ण के चरित्र के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। उनके बाल स्वरूप, विचारधारा, दिव्य लीला, गीता ज्ञान और वीरता का वर्णन श्रीमद् भगवद् गीता में मिलता है।

कृष्ण भगवान् को वृंदावन का नटवर और गोकुलनाथ भी कहा जाता है। उनकी भक्ति के विभिन्न रूपों में उन्हें यशोदा कुमार, माखन चोर, गोपाल, बांसुरीधारी, रासकृष्ण, नन्दलाल, मुरलीधारी, गोपालनंदन, माधव, मुकुन्द, द्वारकाधीश, ब्रजेश, यदुपति आदि नामों से पुकारा जाता है।

जब श्री कृष्ण को प्यार के लिए बनना पड़ा था किन्नर –

एक बार की बात है, देवी राधा अपने पर मान कर बैठीं, उनकी सखियों ने राधा को काफी समझाया लेकिन इनका मान कम ना हुआ, उनकी सखियां उन्हें जितना समझातीं राधा का मान उतना ही बढ़ता जाता, और भगवान श्रीकृष्ण राधा से मिलना चाहते थे, लेकिन उनका मिलन नहीं हो पा रहा था, ऐसे में सखियों के परामर्श से कान्हा ने किन्नर का रूप धारण किया और अपना नाम श्यामरी सखी रखा,

                                                    जब श्री कृष्ण प्यार के लिए बने किन्नर: Image Source – Pintrest

कान्हा यानी श्यामरी सखी वीणा बजाते हुए राधा जी के घर के करीब आए, तो राधा वीणा की स्वर लहरियों से मंत्रमुग्ध होकर वे घर से बाहर आयीं और श्यामरी सखी के इस अद्भुत रूप को देखकर बस उन्हें देखती ही रह गईं, राधा ने श्यामरी सखी को अपने गले का हार भेंट करना चाहा तो कान्हा ने कहा, देना है तो अपने मानरुप रत्न दे दो यह हार मुझे नहीं चाहिए, राधा समझ गईं की यह श्यमरी कोई और नहीं बल्कि श्री कृष्ण श्याम हैं, राधा का मान समाप्त हुआ और जैसा की राधा कृष्ण का मिलन हुआ.

जब श्री कृष्ण धर्म के लिए किन्नर बने –

महाभारत युद्ध के दौरान पाण्डवों की जीत के लिए रणचंडी को प्रसन्न करना था, और इसके लिए राजकुमार की बली दी जानी थी, ऐसे में अर्जुन के पुत्र इरावन ने कहा कि वह अपना बलिदान देने के लिए तैयार है, लेकिन इरावन ने इसके लिए एक शर्त रख दी, शर्त के अनुसार वह एक रात के लिए विवाह करना चाहता था, और ऐसे में एक रात के वर से विवाह के लिए कोई कन्या कैसे तैयार होती.

                                           जब श्री कृष्ण को धर्म के लिए बनना पड़ा किन्नर : Image Source – Pintrest

इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के धर्म युद्ध में पांडवों को वियजी बनाने के लिए स्वयं किन्नर रुप धारण किया, भगवान श्रीकृष्ण ने इरावन से विवाह किया, और अगले दिन इरावन की बली दे दी गई, जैसा की दोस्तो आपको बता दे आज भी हर साल बड़ी संख्या में किन्नर तमिलनाडु के ‘कोथांदवर मंदिर’ में इस परंपरा को निभाते हैं, किन्नर अपने देवता इरावन से विवाह करके अगले दिन विधवा बन जाते हैं.

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