Durga 2 Missile: भारत आधुनिक हथियार बनाने की दौड़ मे बहुत ही आगे बड़ चुका है ऐसे मे भारत ने अपने स्वदेशी वैज्ञानिकों का साथ मिलकर ही लेजर Diffence System बना डाला है। एक ऐसे हथियार की आप कल्पना करें जो ड्रोन जैसे हमलों को भी बेअसर कर सकता है, बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा मे ही मार सकता है और यही नही प्रकाश की गति से लड़ाकू विमानों को भी पूरी तरह से नष्ट कर सकता है। यह भारत की महत्वपूर्ण हथियार “दुर्गा-2” परियोजना का वादा है, जो एक निर्देशित-ऊर्जा हथियार (DEW) है जिसे रक्षा करने हेतू और भारत के विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
DURGA-2 Aims
अभी जो भारत मे वर्तमान विमान भेदी तथा मिसाइल रोधी प्रणालियों की कुछ सीमाएँ हैं। लेकिन “दुर्गा-2” का लक्ष्य 100% हत्या की संभावना प्रदान करके इन सीमाओं को परे जाना है, जिससे संभावित रूप से भारत के सैन्य परिदृश्य में महत्वपूर्ण क्रांतिकारी बदलाव आएगा। इससे भारतीय रणनीतिक इलाकों में उत्साह फैल गया है, यह कल्पना करते हुए कि भारत यह प्रणाली चीन और पाकिस्तान के खतरों का प्रभावी ढंग से उनसे लड़ेगी। बैलिस्टिक मिसाइल हमलों के विषय मे भारतीय शहरों की संवेदनशीलता को ध्यान मे रखते हुए यह परियोजना अत्यधिक महत्व रखती है। हालाँकि S-400 प्रणाली भी कुछ सुरक्षा प्रदान करती है भारत को, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षा की गारंटी कभी नहीं देती है।
DURGA-2 Devloper
भारत मे बनाये जाने वाला “दुर्गा-2” मिसाइलों को खतम करके और यहां तक कि दुश्मन के रडार तथा इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों को Paralyzed बनाकर, उनके मिसाइल के आंतरिक ढांचे को कमजोर बनाकर इस अंतर को भरने की इच्छा रखता है। नई दिल्ली में लेजर विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी केंद्र (LSTC) इस परियोजना का मुख्य नेतृत्व कर रहा है, जो रक्षा करने मे और आक्रमण करने दोनों उद्देश्यों के लिए अलग-अलग लेजर उत्पादन तकनीक विकसित करने मे लगा है। 100 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा पैसों मे बनी यह परियोजना का लक्ष्य लेजर प्रणाली को भूमि, समुद्र और हवा प्लेटफार्मों के साथ एकसाथ मिलना है।
Features Of DURGA-2
अपने पहले चरण की सफलताओं में 5 Km की दूरी पर मिसाइलों को सटीक निशाना बनाने में सक्षम है जो की 25KW लेजर भी शामिल है, इस दूरी को महत्वपूर्ण रूप से और भी बढ़ाने की कोशिश चल रही हैं। हालाँकि, अत्यधिक-शक्ति लेज़रों के लिए पर्याप्त शक्ति प्रदान करना एक अतिआवश्यक चुनौती बनी हुई है। जबकि “दुर्गा-2” में बहुत सी संभावनाएं हैं, इसको विकसित करने के लिए तकनीकी बाधाओं पर महारत पाने तथा DEW के आसपास के अंतरराष्ट्रीय नियमों को ठीक तरीके से समझने की आवश्यकता है। फिर भी, यह परियोजना भारत की रक्षा क्षमताओं में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम का प्रति-निधित्व करती है, जो संभावित रूप से लेजर आधारित युद्ध के एक नए युग की शुरुआत मे भारत का प्रतिनिधित्व करेगी।
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